निर्मम कठोर आलोचकों ने कुछ महत्वपूर्ण और सुंदर निबंधों को एक साथ रखा है। ये निबंध उतराधुनिकतावाद के विषय में कुछ चौंकाने वाले निष्कर्ष पेश करते हैं। आज के युग में इतिहास की सार्थकता और उपयोगिकता को ये पुनः स्थापित करते हैं और बातते हैं कि इतिहास का न तो अंत हुआ है, न इतिहास का अंत होता है।
यह पुस्तक साहित्य और समाज विज्ञान दोनों के ही विद्यार्थियों की समझ को बढ़ाती है।